अंगारों में तपता है, तब ही तो लोहा बनता है।
चट्टानों से निकलेगा जब तू, हो कर पानी पानी।
तब बनेगी तेरी कहानी।
वो जो उंचा उड़ता है, वो पानी कम ही पीता है।
सात आसमां छू लेगा तू भी, जो पक्की मन में ठानी।
तब बनेगी तेरी कहानी।
अंधेरा जब बढता है, तब तब सूरज चढ़ता है।
अंधेरों को जो पी लेगा तो, कर लेगा मनमानी।
तब बनेगी तेरी कहानी।
पत्थरों से लडता है, दरिया बहता चलता है।
बहता जाये अगर तू भी तो, पा ले गहरा पानी।
तब बनेगी तेरी कहानी।
हाथों पर जो छाले हैं, किस्मतों की चालें हैं।
किस्मतों से लड़ लेगा, तब बनेगी तेरी कहानी।
तब बनेगी तेरी कहानी...