सब्र से कब्र में, दफन हैं कुछ लोग।
मखमली कफन में, दफन हैं कुछ लोग।
जब तक, जल ना जाये, आस्तीन किनारे तक।
अपने ही ख्याल में, मगन हैं कुछ लोग।
मसला है की, मुसलसल परेशान हैं कुछ लोग।
मगर फिर भी, जाने कैसे पुरसुकून हैं कुछ लोग।
ख्याल है मेरा, की मरे तो नही होंगे।
मगर जिन्दा होकर कैसे, यूं खामोश हैं कुछ लोग।
बात होती, अगर कुछ बात करते वो लोग।
पर कुछ बात होती, तो बात करते वो लोग।
यूं ही थोडी खामोश हैं, हर शाख पर परिंदे।
तुफान का मौसम है, नाउम्मीद हैं सब लोग।