अब तरस नही करता मेरे हालात पर
रूठ गया है तो अब बात भी नहीं करता
इस कदर मायूस है ईक शख्स मुझसे
मैं याद आऊं तो भी याद नहीं करता
दिन-ब-दिन जिन्दगी क्या सितम करते जाती है
कोई मर भी जाये तो कोई सहारा नहीं बनता
देखता है निकल कर बहाने से मुझे वो रोज़
फिर खो जाता है कहीं, कोई सवालात नहीं करता
रूह से मिट ना पा रही अब तलक उसकी खुशबू
देख तो लूँ उसे पर आंखें मिलाया नहीं करता
उसकी हंसी में भी तो अब ईक चुभन सी है अजीब
गुल बिछड़ के चमन से जैसे मुस्कुराया नहीं करता