Hindi, Rekhta नाज June 5, 2023June 5, 2023 by pnk नीम गुलाबी पेराहं में वो क्या नूर ए नाज़ थी। नजर घुमा के देखती थी, और खूबसूरत लगती थी। ये सिलसिला सारी सहर चला आज। वो सामने से गुजरती थी। फिर उसकी महक गुजरती थी। जो कुछ भी कहना था उस से मुझे। दिल मे गहरे दबा देती थी। ईक निगाह उसकी सब कुछ भुला देती थी। नीम गुलाबी पेराहं में वो क्या नूर ए नाज़ थी। चांद सी खूबसूरत थी। और खूबसूरत लगती थी। Facebook Twitter Pinterest Linkedin